जब ख़तरे की घड़ी में चले जाते हैं सरहद पर फौजी
अफ़सोस नहीं की मुझे नादाँ समझ बैठी, अच्छा हुआ वो मुझे इंसान समझ बैठी।
फौजी के घर के छत पर बैठे हुए रहते हैं वीर मौनता से बंदे।
"सफलता के रंग में कुछ इस तरह रंग की तुम्हारी दुनियां रंगीन हो जाय।"
कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बद-मिज़ाज सी शाम है
बेज़ुबां है इश्क़ मेरा ढूंढता है ख़ामोशी से तुझे
दिल से निकले हुए लफ्ज़ हमेशा असर लाते हैं, जैसे कि ईमानदारी से किया हुआ काम।
क्योंकि मैं उनसे अब और कुछ मांगता ही नहीं।
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"दुनिया के रंगमंच पर ऐसा किरदार बन कि दुनिया बेबाक हो जाय।"
तुमसे प्यार ही इतनी शिद्दत से करते हैं।
तुमसे प्यार ही इतनी शिद्दत से करते हैं।
इसी तथ्य के संदर्भ में ग़ालिब कहते हैं कि चूँकि अल्लाह की ज़ात प्राचीन है इसलिए जब इस ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं था तो उसकी ज़ात मौजूद थी और जब कोई हस्ती मौजूद न रहेगी तब भी अल्लाह की ही ज़ात मौजूद रहेगी और चूँकि मैं अल्लाह सर्वशक्तिमान के नूर का एक हिस्सा हूँ और मुझे मेरे पैदा होने ने उस पूर्ण प्रकाश से जुदा कर दिया, इसलिए मेरा अस्तित्व मेरे लिए नुक़्सान की वजह है। यानी मेरे होने ने मुझे डुबोया कि मैं कुल से अंश बन गया। अगर मैं नहीं होता तो क्या होता यानी पूरा नूर होता।
याद आएगी हर रोज तेरी मगर तुझे आवाज ना देंगे